एक के बाद एक हुए
एक के बाद एक हुए तीन हत्याकांड एक-से-एक लोमहर्षक। निरंकुश हुआ नरसंहार कि लाशों से पट गई धरती, लहुलुहान हो गया मसान। हतप्रभ निहारता- बुदबुद बोलता ध्वंसावशेषी ज्ञान, असमर्थ आक्रोश की लार टपकाता है इतिहास की लड़खड़ाती जीभ बाहर निकाले। हाँफती हवा काँखती-कराहती विलाप करती है, जमीन-आसमान में लोटती-पलटती धूल उड़ाती। दूरातिदूर अंतरिक्ष में वहाँ, निश्चित बैठा, काल- मुंडमाल गले से लटकाए, मृत्यु की जय-जयकार करता है।

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