तुम नहीं समझोगे केवल किया हुआ इसलिए अपने किये पर वाणी फेरता हूँ और लगता है मुझे ...
चिकने लम्बे केश काली चमकीली आँखें खिलते हुए फूल के जैसा रंग शरीर का फूलों ही जैसी सुगंध शरीर की...
कोई भी काम कर्तव्य बन जाता है उसी क्षण जब हमें लगता है कि वह उस निष्ठा का अंग है...
साल शुरू हो दूध दही से, साल खत्म हो शक्कर घी से, पिपरमेंट, बिस्किट मिसरी से रहें लबालब दोनों खीसे।...
एक सीध में दूर-दूर तक गड़े हुए ये खंभे किसी झाड़ से थोड़े नीचे , किसी झाड़ से लम्बे। कल ऐसे चुपचाप खड़े थे जैसे बोल न जानें किन्तु सबेरे आज बताया मुझको मेरी माँ ने -...
टूटने का सुख: बहुत प्यारे बन्धनों को आज झटका लग रहा है, टूट जायेंगे कि मुझ को आज खटका लग रहा है, आज आशाएं कभी भी चूर होने जा रही हैं,...
मुझे अफ़सोस है या कहिए मुझे वह है जिसे मैं अफ़सोस मानता रहा हूँ क्योंकि ज़्यादातर लोगों को ...
काफ़ी दिन हो गये लगभग छै साल कहो तब से एक कोशिश कर रहा हूँ मगर होता कुछ नहीं है...
चलो, फागुन की खुशियाँ मनाएँ! आज पीले हैं सरसों के खेत, लो; आज किरनें हैं कंचन समेत, लो; आज कोयल बहन हो गई बावली...
हो दोस्त या कि वह दुश्मन हो, हो परिचित या परिचय विहीन; तुम जिसे समझते रहे बड़ा या जिसे मानते रहे दीन;...
बच्चे की तरह हँसे और जब रोये तो बच्चे की तरह ख़ालिस सुख ख़ालिस दुख न उसमें ख़याल कुछ पाने का...
अक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़, दोनों मूरख, दोनों अक्खड़, हाट से लौटे, ठाट से लौटे, एक साथ एक बाट से लौटे।...
चांदनी से तरबतर वह रात वन के वृक्ष वृक्षों पर सटी बैठी हुई झंकारवन्ती झिल्लियाँ ...
कलम अपनी साध और मन की बात बिलकुल ठीक कह एकाध यह कि तेरी-भर न हो तो कह, और बहते बने सादे ढंग से तो बह....
तारों से भरा आसमान ऊपर हृदय से हरा आदमी भू पर होता रहता हूं रोमांचित वह देख कर यह छूकर।...
पीके फूटे आज प्यार के, पानी बरसा री हरियाली छा गयी, हमारे सावन सरसा री बादल आये आसमान मे,धरती फूली री अरी सुहागिन, भरी मांग में भूली -भूली री...
जूही ने प्यार किया शतदल से! दोनों के लोक दो, शोक किन्तु एक हुए दोनों के सन्ध्या के झुरमुट से मानो निहारा और अश्रु चुए दोनों के धरती पर इसके अश्रु, पानी पर उसके चुए...
जिन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है, इस बात का मुझे बड़ा दु:ख नहीं है, क्योंकि मैं छोटा आदमी हूँ, बड़े सुख आ जाएं घर में...
मेरे वृन्त पर एक फूल खिल रहा है उजाले की तरफ़ मुंह किये हुए। और उकस रहा है ...
अपने आप में एक ओछी चीज़ है समय चीजों को टोड़ने वाला मिटाने वाला बने- बनाये ...
प्रार्थना का जवाब नहीं मिलता हवा को हमारे शब्द शायद आसमान में हिला जाते हैं...
हँसी आ रही है सवेरे से मुझको कि क्या घेरते हो अंधेरे में मुझको! बँधा है हर एक नूर मुट्ठी में मेरी बचा कर अंधेरे के घेरे से मुझको!...
बुरी बात है चुप मसान में बैठे-बैठे दुःख सोचना, दर्द सोचना ! शक्तिहीन कमज़ोर तुच्छ को...
लाओ अपना हाथ मेरे हाथ में दो नए क्षितिजों तक चलेंगे हाथ में हाथ डालकर सूरज से मिलेंगे...