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तापित को स्निग्ध करे, प्यासे को चैन दे; सूखे हुए अधरों को फिर से जो बैन दे...

गुस्से के मारे सारे के सारे आसमान के तारे टूट पड़े धरती के ऊपर...

तुम नहीं समझोगे केवल किया हुआ इसलिए अपने किये पर वाणी फेरता हूँ और लगता है मुझे ...

चिकने लम्बे केश काली चमकीली आँखें खिलते हुए फूल के जैसा रंग शरीर का फूलों ही जैसी सुगंध शरीर की...

कोई भी काम कर्तव्य बन जाता है उसी क्षण जब हमें लगता है कि वह उस निष्ठा का अंग है...

इतने बहुत–से वसंत का क्या होगा मेरे पास एक फूल है इन रोज़–रोज़ के...

साल शुरू हो दूध दही से, साल खत्म हो शक्कर घी से, पिपरमेंट, बिस्किट मिसरी से रहें लबालब दोनों खीसे।...

एक सीध में दूर-दूर तक गड़े हुए ये खंभे किसी झाड़ से थोड़े नीचे , किसी झाड़ से लम्बे। कल ऐसे चुपचाप खड़े थे जैसे बोल न जानें किन्तु सबेरे आज बताया मुझको मेरी माँ ने -...

टूटने का सुख: बहुत प्यारे बन्धनों को आज झटका लग रहा है, टूट जायेंगे कि मुझ को आज खटका लग रहा है, आज आशाएं कभी भी चूर होने जा रही हैं,...

उठा लो आत्मा का यह फूल जो तूफ़ान के थपेड़े से धूल में गिर गया है...

तुम भीतर जो साधे हो और समेटे हों कविता नहीं बनेगी वह क्योंकि ...

मुझे अफ़सोस है या कहिए मुझे वह है जिसे मैं अफ़सोस मानता रहा हूँ क्योंकि ज़्यादातर लोगों को ...

कोई सागर नहीं है अकेलापन न वन है एक मन है अकेलापन जिसे समझा जा सकता है...

रास्ते पर चलते–चलते भीड़ में जलते-जलते अकेले हो जाने पर हम राख हो जायेंगे...

उस दिन आँखें मिलते ही आसमान नीला हो गया था और धरती फूलवती ...

काफ़ी दिन हो गये लगभग छै साल कहो तब से एक कोशिश कर रहा हूँ मगर होता कुछ नहीं है...

चलो, फागुन की खुशियाँ मनाएँ! आज पीले हैं सरसों के खेत, लो; आज किरनें हैं कंचन समेत, लो; आज कोयल बहन हो गई बावली...

हो दोस्त या कि वह दुश्मन हो, हो परिचित या परिचय विहीन; तुम जिसे समझते रहे बड़ा या जिसे मानते रहे दीन;...

बच्चे की तरह हँसे और जब रोये तो बच्चे की तरह ख़ालिस सुख ख़ालिस दुख न उसमें ख़याल कुछ पाने का...

अक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़, दोनों मूरख, दोनों अक्खड़, हाट से लौटे, ठाट से लौटे, एक साथ एक बाट से लौटे।...

चांदनी से तरबतर वह रात वन के वृक्ष वृक्षों पर सटी बैठी हुई झंकारवन्ती झिल्लियाँ ...

अधूरे मन से ही सही मगर उसने तुझसे मन की बात कही पुराने दिनों के अपने...

सागर से मिलकर जैसे नदी खारी हो जाती है तबीयत वैसे ही भारी हो जाती है मेरी...

कलम अपनी साध और मन की बात बिलकुल ठीक कह एकाध यह कि तेरी-भर न हो तो कह, और बहते बने सादे ढंग से तो बह....

तारों से भरा आसमान ऊपर हृदय से हरा आदमी भू पर होता रहता हूं रोमांचित वह देख कर यह छूकर।...

पीके फूटे आज प्यार के, पानी बरसा री हरियाली छा गयी, हमारे सावन सरसा री बादल आये आसमान मे,धरती फूली री अरी सुहागिन, भरी मांग में भूली -भूली री...

मेल बेमेल तुकों के खेल जैसे भाषा के ऊंट की नाक में नकेल !...

जूही ने प्यार किया शतदल से! दोनों के लोक दो, शोक किन्तु एक हुए दोनों के सन्ध्या के झुरमुट से मानो निहारा और अश्रु चुए दोनों के धरती पर इसके अश्रु, पानी पर उसके चुए...

जिन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है, इस बात का मुझे बड़ा दु:ख नहीं है, क्योंकि मैं छोटा आदमी हूँ, बड़े सुख आ जाएं घर में...

मेरे वृन्त पर एक फूल खिल रहा है उजाले की तरफ़ मुंह किये हुए। और उकस रहा है ...

कुछ सूखे फूलों के गुलदस्तों की तरह बासी शब्दों के बस्तों को...

अपने आप में एक ओछी चीज़ है समय चीजों को टोड़ने वाला मिटाने वाला बने- बनाये ...

आसमान खुद आसमान ख़ुद हवा बनकर नहीं बहता जैसे हवा उसमें बहती है...

प्रार्थना का जवाब नहीं मिलता हवा को हमारे शब्द शायद आसमान में हिला जाते हैं...

मन में जगह है जितनी उस सब में मैंने फूल की...

क्या हर्ज़ है अगर अब विदा ले लें हम एक सपने से जो तुमने भी देखा था ...

हँसी आ रही है सवेरे से मुझको कि क्या घेरते हो अंधेरे में मुझको! बँधा है हर एक नूर मुट्ठी में मेरी बचा कर अंधेरे के घेरे से मुझको!...

असंदिग्ध एक उजाला टूटा बिजली बन कर शिखर पर मेरी दृष्टि के और डर कर मैंने ...

बुरी बात है चुप मसान में बैठे-बैठे दुःख सोचना, दर्द सोचना ! शक्तिहीन कमज़ोर तुच्छ को...

लाओ अपना हाथ मेरे हाथ में दो नए क्षितिजों तक चलेंगे हाथ में हाथ डालकर सूरज से मिलेंगे...