टूटने का सुख
टूटने का सुख: बहुत प्यारे बन्धनों को आज झटका लग रहा है, टूट जायेंगे कि मुझ को आज खटका लग रहा है, आज आशाएं कभी भी चूर होने जा रही हैं, और कलियाँ बिन खिले कुछ चूर होने जा रही हैं , बिना इच्छा, मन बिना, आज हर बंधन बिना, इस दिशा से उस दिशा तक छूटने का सुख! टूटने का सुख। शरद का बादल कि जैसे उड़ चले रसहीन कोई, किसी को आशा नहीं जिससे कि सो यशहीन कोई, नील नभ में सिर्फ उड़ कर बिखर जाना भाग जिसका, अस्त होने के क्षणों में है कि हाय सुहाग जिस का, बिना पानी, बिना वाणी, है विरस जिसकी कहानी, सूर्य कर से किन्तु किस्मत फूटने का सुख! टूटने का सुख। फूल श्लथ -बंधन हुआ, पीला पड़ा, टपका कि टूटा, तीर चढ़ कर चाप पर, सीधा हुआ खिंच कर कि छूटा, ये किसी निश्चित नियम, क्रम कि सरासर सीढियाँ हैं, पाँव रख कर बढ़ रही जिस पर कि अपनी पीढियाँ हैं बिना सीधी के बढ़ेंगे तीर के जैसे बढ़ेंगे, इसलिए इन सीढियों के फूटने का सुख! टूटने का सुख।

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