साल दर साल
साल शुरू हो दूध दही से, साल खत्म हो शक्कर घी से, पिपरमेंट, बिस्किट मिसरी से रहें लबालब दोनों खीसे। मस्त रहें सड़कों पर खेलें, नाचें-कूदें गाएँ-ठेलें, ऊधम करें मचाएँ हल्ला रहें सुखी भीतर से जी से। साँझ रात दोपहर सवेरा, सबमें हो मस्ती का डेरा, कातें सूत बनाएँ कपड़े दुनिया में क्यों डरे किसी से। पंछी गीत सुनाए हमको, बादल बिजली भाए हमको, करें दोस्ती पेड़ फूल से लहर-लहर से नदी-नदी से। आगे-पीछे ऊपर नीचे, रहें हँसी की रेखा खींचे, पास-पड़ोस गाँव घर बस्ती प्यार ढेर भर करें सभी से।

Read Next