इतने बहुत–से वसंत का
इतने बहुत–से वसंत का क्या होगा मेरे पास एक फूल है इन रोज़–रोज़ के तमाम सुखों का क्या होगा मेरे पास एक भूल है सदा की अछूती और टटकी और मनहरण पैताने बैठा है जिसके जीवन सिरहाने बैठा है जिसके मरण!

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