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छोटी सी दुनिया बड़े-बड़े इलाके हर इलाके के बड़े-बड़े लड़ाके...

पत्तों पर पानी गिरने का अर्थ पानी पर पत्ते गिरने के अर्थ से भिन्न है। जीवन को पूरी तरह पाने और पूरी तरह दे जाने के बीच...

"अभी-अभी आया हूँ दुनिया से थका-मांदा अपने हिस्से की पूरी सज़ा काट कर..." स्वर्ग की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए...

कुछ घटता चला जाता है मुझमें उनके न रहने से जो थे मेरे साथ मैं क्या कह सकता हूँ उनके बारे में, अब कुछ भी कहना एक धीमी मौत सहना है। ...

बात सीधी थी पर एक बार भाषा के चक्कर में ज़रा टेढ़ी फँस गई। उसे पाने की कोशिश में...

आज सारे दिन बाहर घूमता रहा और कोई दुर्घटना नहीं हुई। आज सारे दिन लोगों से मिलता रहा और कहीं अपमानित नहीं हुआ।...

कुंवर नारायण कहीं न कहीं कुछ न कुछ लोग हैं जरूर जो इस पृथ्वी को अपनी पीठ पर कच्छपों की तरह धारण किए हुए हैं...

बहुत कुछ दे सकती है कविता क्यों कि बहुत कुछ हो सकती है कविता ज़िन्दगी में अगर हम जगह दें उसे ...

फ़ोन की घंटी बजी मैंने कहा- मैं नहीं हूँ और करवट बदल कर सो गया दरवाज़े की घंटी बजी...

तब तक इजिप्ट के पिरामिड नहीं बने थे जब दुनिया में पहले प्यार का जन्म हुआ तब तक आत्मा की खोज भी नहीं हुई थी,...

एक बार ख़बर उड़ी कि कविता अब कविता नहीं रही और यूँ फैली कि कविता अब नहीं रही !...

हे राम, जीवन एक कटु यथार्थ है और तुम एक महाकाव्य ! तुम्हारे बस की नहीं...

पिता, तुम भविष्य के अधिकारी नहीं, क्योंकि तुम ‘अपने’ हित के आगे नहीं सोच पा रहे, न अपने ‘हित’ को ही अपने सुख के आगे। तुम वर्तमान को संज्ञा देते हो, पर महत्त्व नहीं।...

हवा और दरवाज़ों में बहस होती रही, दीवारें सुनती रहीं। धूप चुपचाप एक कुरसी पर बैठी किरणों के ऊन का स्वेटर बुनती रही।...

यह मेरे एक चीनी कवि-मित्र का झटपट बनाया हुआ रेखाचित्र है मुझे नहीं मालूम था कि मैं...

इतना कुछ था दुनिया में लड़ने झगड़ने को पर ऐसा मन मिला कि ज़रा-से प्यार में डूबा रहा...

जिस समय में सब कुछ इतनी तेजी से बदल रहा है वही समय...

हम सब एक सीधी ट्रेन पकड़ कर अपने अपने घर पहुँचना चाहते हम सब ट्रेनें बदलने की झंझटों से बचना चाहते ...

“कुली!” पुकारते ही कोई मेरे अंदर चौंका एक आदमी आकर खड़ा हो गया मेरे पास सामान सिर पर लादे...

मैं कहीं और भी होता हूँ जब कविता लिखता कुछ भी करते हुए कहीं और भी होना...

बार-बार लौटता है कोलम्बस का जहाज खोज कर एक नई दुनिया, नई-नई माल-मंडियाँ,...

अबकी बार लौटा तो बृहत्तर लौटूंगा चेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहीं कमर में बांधें लोहे की पूँछे नहीं ...

कविता वक्तव्य नहीं गवाह है कभी हमारे सामने कभी हमसे पहले कभी हमारे बाद ...

अच्छी तरह याद है तब तेरह दिन लगे थे ट्रेन से साइबेरिया के मैदानों को पार करके मास्को से बाइजिंग तक पहुँचने में।...

तबदीली का मतलब तबदीली होता है, मेरे दोस्‍त सिर्फ तबादले नहीं वैसे, मुझे ख़ुशी है कि अबकी तबादले में तुम...

अजीब वक्त है - बिना लड़े ही एक देश- का देश स्वीकार करता चला जाता अपनी ही तुच्छताओं के अधीनता !...

जैसे बेबात हँसी आ जाती है हँसते चेहरों को देख कर जैसे अनायास आँसू आ जाते हैं रोते चेहरों को देख कर ...

जानता हूँ कि मैं दुनिया को बदल नहीं सकता, न लड़ कर उससे जीत ही सकता हूँ...

यह आवाज़ लोहे की चट्टानों पर चुम्बक के जूते पहन कर दौड़ने की आवाज़ नहीं है...

वह किसी उम्मीद से मेरी ओर मुड़ा था लेकिन घबरा कर वह नहीं मैं उस पर भूँक पड़ा था। ज़्यादातर कुत्ते पागल नहीं होते...

अब मैं एक छोटे-से घर और बहुत बड़ी दुनिया में रहता हूँ कभी मैं एक बहुत बड़े घर और छोटी-सी दुनिया में रहता था...

रंग गेहुआं ढंग खेतिहर उसके माथे पर चोट का निशान कद पांच फुट से कम नहीं ऐसी बात करताकि उसे कोई गम नहीं।...

पार्क में बैठा रहा कुछ देर तक अच्छा लगा, पेड़ की छाया का सुख अच्छा लगा,...