अजीब वक्त है
अजीब वक्त है - बिना लड़े ही एक देश- का देश स्वीकार करता चला जाता अपनी ही तुच्छताओं के अधीनता ! कुछ तो फर्क बचता धर्मयुद्ध और कीट युद्ध में - कोई तो हार जीत के नियमों में स्वाभिमान के अर्थ को फिर से ईजाद करता।

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