घबरा कर
वह किसी उम्मीद से मेरी ओर मुड़ा था लेकिन घबरा कर वह नहीं मैं उस पर भूँक पड़ा था। ज़्यादातर कुत्ते पागल नहीं होते न ज़्यादातर जानवर हमलावर ज़्यादातर आदमी डाकू नहीं होते न ज़्यादातर जेबों में चाकू ख़तरनाक तो दो चार ही होते लाखों में लेकिन उनका आतंक चौकता रहता हमारी आँखों में। मैंने जिसे पागल समझ कर दुतकार दिया था वह मेरे बच्चे को ढूँढ रहा था जिसने उसे प्यार दिया था।

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