एक अजीब दिन
आज सारे दिन बाहर घूमता रहा और कोई दुर्घटना नहीं हुई। आज सारे दिन लोगों से मिलता रहा और कहीं अपमानित नहीं हुआ। आज सारे दिन सच बोलता रहा और किसी ने बुरा न माना। आज सबका यकीन किया और कहीं धोखा नहीं खाया। और सबसे बड़ा चमत्कार तो यह कि घर लौटकर मैंने किसी और को नहीं अपने ही को लौटा हुआ पाया।

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