जंगल के राजा, सावधान ! ओ मेरे राजा, सावधान ! कुछ अशुभ शकुन हो रहे आज। जो दूर शब्द सुन पड़ता है,...
अन्दाज़ लग जाता है कि घिरने वाले हैं बादल फटने वाला है आसमान ख़त्म हो जाने वाला है...
पहले इतने बुरे नहीं थे तुम याने इससे अधिक सही थे तुम किन्तु सभी कुछ तुम्ही करोगे इस इच्छाने अथवा और किसी इच्छाने, आसपास के लोगों ने...
जैसे दर्द चला जाता है ऐसे चला गया उत्साह का एक मौसम और हमने आराम की साँस ली...
ना निरापद कोई नहीं है न तुम, न मैं, न वे न वे, न मैं, न तुम सबके पीछे बंधी है दुम आसक्ति की!...
तुमने जो दिया है वह सब हवा है प्रकाश है पानी है छन्द है गन्ध है वाणी है उसी के बल पर लहराता हूँ...
बुनी हुई रस्सी को घुमायें उल्टा तो वह खुल जाती हैं और अलग अलग देखे जा सकते हैं उसके सारे रेशे...
बहुत नहीं थे सिर्फ चार कौए थे काले उन्होंने यह तय किया कि सारे उड़ने वाले उनके ढंग से उड़ें, रुकें, खायें और गायें वे जिसको त्योहार कहें सब उसे मनायें।...
रात को या दिन को अकेले में या मेले में हम सब गुनगुनाते रहें क्योंकि गुनगुनाते रहे हैं भौंरे...
सुबह हो गई है मैं कह रहा हूँ सुबह हो गई है मगर क्या हो गया है तुम्हें कि तुम सुनते नहीं हो अपनी दरिद्र लालटेनें बार-बार उकसाते हुए...
तुम काग़ज़ पर लिखते हो वह सड़क झाड़ता है तुम व्यापारी वह धरती में बीज गाड़ता है।...
गतिहीन समय ने मुझे इस तरह फेंक दिया है अपने से दूर जिस तरह फेंक नहीं पाती हैं...