हम सब गाएँ
रात को या दिन को अकेले में या मेले में हम सब गुनगुनाते रहें क्योंकि गुनगुनाते रहे हैं भौंरे गुनगुना रही हैं मधुमक्खियाँ नीम के फूलों को चूसने की धुन में और नीम के फूल भी महक रहे हैं छोटे बड़े सारे पंछी चहक रहे हैं| क्या हम कम हैं इनसे अपने मन की धुन में या रूप में या गुन में सन गाएँ सब गुनगुनाएँ झूमे नाचे आसमान सिर पर उठाएँ!

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