अपने जन्म दिन पर
बस इतना मै हूँ एक सामान्य-सा अहं एक सकुचा-सकुचा-सा सदभाव बस इतना मै हूँ औए चाहता हूँ बने रहें मेरे ये नगण्य तत्व जितने हैं उतने मेरे भीतर और छुएं मेरे बाहर दूसरों को जगाएं उनमे अपने-अपनेपन का भाव जो कम हो अभिमान से जो नम हो प्यार से कुछ ज्यादा

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