Ramkumar Verma
( 1905 - 1990 )

Ramkumar Verma (Hindi: रामकुमार वर्मा) was a leading Hindi poet who published one act-plays and several anthologies of his work. More

आज केतकी फूली ! नभ के उज्ज्वल तारों से हो - निर्मित जग में झूली । आज केतकी फूली !...

एक दीपक किरण–कण हूँ। धूम्र जिसके क्रोड़ में है¸ उस अनल का हाथ हूँ मैं नव प्रभा लेकर चला हूँ¸ पर जलन के साथ हूँ मैं सिद्धि पाकर भी¸ तुम्हारी साधना का —...

हे ग्राम देवता ! नमस्कार ! सोने-चाँदी से नहीं किंतु तुमने मिट्टी से दिया प्यार । हे ग्राम देवता ! नमस्कार !...

"तू अछूत है - दूर !" सदा जो कह चिल्लाते "मुझे न छू" कह नाक-भौंह जो सदा चढ़ाते दिन में दो-दो बार स्नान हैं करने वाले ऊपर तो अति शुद्ध किन्तु है मन में काले ...

सजल जीवन की सिहरती धार पर, लहर बनकर यदि बहो, तो ले चलूँ यह न मुझसे पूछना, मैं किस दिशा से आ रहा हूँ है कहाँ वह चरणरेखा, जो कि धोने जा रहा हूँ ...

उषे, बतला यह सीखा हास कहाँ? इस नीरस नभ में पाया है तूने यह मधुमास कहाँ? अन्धकार के भीतर सोता--...

फूल-सी हो फूलवाली। किस सुमन की सांस तुमने आज अनजाने चुरा ली! जब प्रभा की रेख दिनकर ने...

मेरे उपवन के अधरों में, है वसन्त की मृदु मुस्कान। मलय-समीरण पाकर कोकिल, गा जीवन का मधुमय गान॥...

समीरण, धीरे से बह जाओ। मैं क्या हूँ, इन कलियों के कानों में यह कह जाओ॥ वे विकसित होकर जग को...

कलियों, यह अवगुण्ठन खोलो। ओस नहीं है, मेरे आँसू से ही मृदु पद धो लो॥ कोकिल-स्वर लेकर आया है यह अशरीर समीर,...