Dharamvir Bharati
( 1926 - 1997 )

Dr. Dharamvir Bharati (Hindi: धर्मवीर भारती) was a renowned Hindi poet, author, playwright and a social thinker of India. He was the chief editor of the popular Hindi weekly magazine Dharmayug, from 1960 till his death in 1997. More

यह जो अकस्मात् आज मेरे जिस्म के सितार के एक-एक तार में तुम झंकार उठे हो- सच बतलाना मेरे स्वर्णिम संगीत...

खलक खुदा का, मुलुक बाश्शा का हुकुम शहर कोतवाल का... हर खासो-आम को आगह किया जाता है कि खबरदार रहें...

मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ लेकिन मुझे फेंको मत ! क्या जाने कब...

घाट से आते हुए कदम्ब के नीचे खड़े कनु को ध्यानमग्न देवता समझ, प्रणाम करने जिस राह से तू लौटती थी बावरी...

दुख आया घुट घुटकर मन-मन मैं खीज गया सुख आया...

क्या यह अंधेरा ही एक मात्र सत्य है? प्रश्न यह मैंने बार-बार दोहराया है! उत्तर में कोई कुछ नहीं बोला! उत्तर में, ओ सूर्या!...

अगर डोला कभी इस राह से गुजरे कुवेला, यहाँ अम्बवा तरे रुक एक पल विश्राम लेना, मिलो जब गाँव भर से बात कहना, बात सुनना...

तप्त माथे पर, नजर में बादलों को साध कर रख दिये तुमने सरल संगीत से निर्मित अधर आरती के दीपकों की झिलमिलाती छाँह में बाँसुरी रखी हुई ज्यों भागवत के पृष्ठ पर...

दीदी के धूल भरे पाँव बरसों के बाद आज फिर यह मन लौटा है क्यों अपने गाँव; अगहन की कोहरीली भोर:...

यह पान फूल सा मृदुल बदन बच्चों की जिद सा अल्हड़ मन तुम अभी सुकोमल, बहुत सुकोमल, अभी न सीखो प्यार! कुँजो की छाया में झिलमिल...