अवशिष्ट
दुख आया घुट घुटकर मन-मन मैं खीज गया सुख आया लुट लुटकर कन कन मैं छीज गया क्या केवल इतनी पूँजी के बल मैंने जीवन को ललकारा था वह मैं नहीं था, शायद वह कोई और था उसने तो प्यार किया, रीत गया, टूट गया पीछे मैं छूट गया

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