Momin Khan Momin
Momin
( 1800 - 1851 )

Momin Khan Momin (Hindi: मोमिन) was a Mughal era poet known for his Urdu ghazals and used "Momin" as his taxalluṣ. He was a contemporary of Mirza Ghalib and Zauq. More

ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं आइना क्या देखने दूँ और बन जाएँगे तस्वीर जो हैराँ होंगे...

दुश्नाम-ए-यार तब्-ए-हज़ीं पर गिराँ नहीं ऐ हम-नशीं नज़ाकत-ए-आवाज़ देखना...

माँगा करेंगे अब से दुआ हिज्र-ए-यार की आख़िर तो दुश्मनी है असर को दुआ के साथ...

जलता हूँ हिज्र-ए-शाहिद ओ याद-ए-शराब में शौक़-ए-सवाब ने मुझे डाला अज़ाब में कहते हैं तुम को होश नहीं इज़्तिराब में सारे गिले तमाम हुए इक जवाब में...

रोया करेंगे आप भी पहरों इसी तरह अटका कहीं जो आप का दिल भी मिरी तरह आता नहीं है वो तो किसी ढब से दाओ में बनती नहीं है मिलने की उस के कोई तरह...

ग़ैरों पे खुल न जाए कहीं राज़ देखना मेरी तरफ़ भी ग़म्ज़ा-ए-ग़म्माज़ देखना उड़ते ही रंग-ए-रुख़ मिरा नज़रों से था निहाँ इस मुर्ग़-ए-पर-शिकस्ता की परवाज़ देखना...

वादा-ए-वस्लत से दिल हो शाद क्या तुम से दुश्मन की मुबारकबाद क्या कुछ क़फ़स में इन दिनों लगता है जी आशियाँ अपना हुआ बर्बाद क्या...

ने जाए वाँ बने है ने बिन जाए चैन है क्या कीजिए हमें तो है मुश्किल सभी तरह...

कल तुम जो बज़्म-ए-ग़ैर में आँखें चुरा गए खोए गए हम ऐसे कि अग़्यार पा गए...

तू कहाँ जाएगी कुछ अपना ठिकाना कर ले हम तो कल ख़्वाब-ए-अदम में शब-ए-हिज्राँ होंगे...