ग़ैरों पे खुल न जाए कहीं राज़ देखना
ग़ैरों पे खुल न जाए कहीं राज़ देखना मेरी तरफ़ भी ग़म्ज़ा-ए-ग़म्माज़ देखना उड़ते ही रंग-ए-रुख़ मिरा नज़रों से था निहाँ इस मुर्ग़-ए-पर-शिकस्ता की परवाज़ देखना दुश्नाम-ए-यार तब-ए-हज़ीं पर गिराँ नहीं ऐ हम-नफ़स नज़ाकत-ए-आवाज़ देखना देख अपना हाल-ए-ज़ार मुनज्जिम हुआ रक़ीब था साज़गार ताला-ए-ना-साज़ देखना बद-काम का मआल बुरा है जज़ा के दिन हाल-ए-सिपहर-ए-तफ़रक़ा-अंदाज़ देखना मत रखियो गर्द-ए-तारिक-ए-उश्शाक़ पर क़दम पामाल हो न जाए सर-अफ़राज़ देखना मेरी निगाह-ए-ख़ीरा दिखाते हैं ग़ैर को बे-ताक़ती पे सरज़निश-ए-नाज़ देखना तर्क-ए-सनम भी कम नहीं सोज़-ए-जहीम से 'मोमिन' ग़म-ए-मआल का आग़ाज़ देखना

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