Jaishankar Prasad
( 1890 - 1937 )

Jaishankar Prasad (HIndi: जयशंकर प्रसाद) is one of the most famous figures in modern Hindi literature as well as Hindi theater. More

उषा का प्राची में अभ्यास, सरोरुह का सर बीच विकास॥ कौन परिचय? था क्या सम्बन्ध? गगन मंडल में अरुण विलास॥...

तुम कनक किरन के अंतराल में लुक छिप कर चलते हो क्यों ? नत मस्तक गवर् वहन करते यौवन के घन रस कन झरते...

तुम्हारी आँखों का बचपन! खेलता था जब अल्हड़ खेल, अजिर के उर में भरा कुलेल, हारता था हँस-हँस कर मन,...

शशि सी वह सुंदर रूप विभा छाहे न मुझे दिखलाना। उसकी निर्मल शीतल छाया हिमकन को बिखरा जाना।...

शरद का सुंदर नीलाकाश निशा निखरी, था निर्मल हास बह रही छाया पथ में स्वच्छ सुधा सरिता लेती उच्छ्वास...

निधरक तूने ठुकराया तब मेरी टूटी मधु प्याली को, उसके सूखे अधर मांगते तेरे चरणों की लाली को।...

उस दिन जब जीवन के पथ में, छिन्न पात्र ले कम्पित कर में, मधु-भिक्षा की रटन अधर में, इस अनजाने निकट नगर में,...

आँखों से अलख जगाने को, यह आज भैरवी आई है उषा-सी आँखों में कितनी, मादकता भरी ललाई है ...

मन्द पवन बह रहा अँधेरी रात हैं। आज अकेले निर्जन गृह में क्लान्त हो- स्थित हूँ, प्रत्याशा में मैं तो प्राणहीन। शिथिल विपंची मिली विरह संगीत से...

अरे कहीं देखा है तुमने मुझे प्यार करने वालों को? मेरी आँखों में आकर फिर आँसू बन ढरने वालों को?...