आँखों से अलख जगाने को
आँखों से अलख जगाने को, यह आज भैरवी आई है उषा-सी आँखों में कितनी, मादकता भरी ललाई है कहता दिगन्त से मलय पवन प्राची की लाज भरी चितवन- है रात घूम आई मधुबन , यह आलस की अंगराई है लहरों में यह क्रीड़ा-चंचल, सागर का उद्वेलित अंचल है पोंछ रहा आँखें छलछल, किसने यह चोट लगाई है ?

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