Dushyant Kumar
( 1933 - 1975 )

Dushyant Kumar Tyagi (Hindi: दुष्यंत कुमार त्यागी) was a poet of modern Hindi literature. He is known as the first Hindi Ghazal writer of India. In India, he is generally recognised as one of the foremost Hindustani poets of the 20th century. He was also a dramatist and litterateur. More

‎आज सड़कों पर लिखे हैं सैकड़ों नारे न देख, पर अन्धेरा देख तू आकाश के तारे न देख । एक दरिया है यहाँ पर दूर तक फैला हुआ, आज अपने बाज़ुओं को देख पतवारें न देख ।...

लफ़्ज़ एहसास से छाने लगे, ये तो हद है लफ़्ज़ माने भी छुपाने लगे, ये तो हद है आप दीवार उठाने के लिए आए थे आप दीवार उठाने लगे, ये तो हद है...

जाने किस—किसका ख़्याल आया है इस समंदर में उबाल आया है एक बच्चा था हवा का झोंका साफ़ पानी को खंगाल आया है...

ज़िंदगानी का कोई मक़सद नहीं है एक भी क़द आज आदमक़द नहीं है राम जाने किस जगह होंगे क़बूतर इस इमारत में कोई गुम्बद नहीं है...

परदे हटाकर करीने से रोशनदान खोलकर कमरे का फर्नीचर सजाकर और स्वागत के शब्दों को तोलकर...

होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिये इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिये गूँगे निकल पड़े हैं, ज़ुबाँ की तलाश में सरकार के ख़िलाफ़ ये साज़िश तो देखिये...

वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है माथे पे उसके चोट का गहरा निशान है वे कर रहे हैं इश्क़ पे संजीदा गुफ़्तगू मैं क्या बताऊँ मेरा कहीं और ध्यान है...

मत कहो, आकाश में कुहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है। सूर्य हमने भी नहीं देखा सुबह से, क्या करोगे, सूर्य का क्या देखना है।...

ये ज़ुबाँ हमसे सी नहीं जाती ज़िन्दगी है कि जी नहीं जाती इन सफ़ीलों में वो दरारे हैं जिनमें बस कर नमी नहीं जाती...

अगर ख़ुदा न करे सच ये ख़्वाब हो जाए तेरी सहर हो मेरा आफ़ताब हो जाए हुज़ूर! आरिज़ो-ओ-रुख़सार क्या तमाम बदन मेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए...