नाम-रूप के भेद पर कभी किया है गौर? नाम मिला कुछ और तो, शक्ल-अक्ल कुछ और। शक्ल-अक्ल कुछ और, नैनसुख देखे काने, बाबू सुंदरलाल बनाए ऐंचकताने।...
सारे जहाँ से अच्छा है इंडिया हमारा हम भेड़-बकरी इसके यह गड़ेरिया हमारा। सत्ता की खुमारी में, आज़ादी सो रही है हड़ताल क्यों है इसकी पड़ताल हो रही है...
'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून। नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून॥ मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली। हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली॥...
प्रकृति बदलती क्षण-क्षण देखो, बदल रहे अणु, कण-कण देख। तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो। भाग्य वाद पर अड़े हुए हो।...
बिना टिकट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर जहाँ ‘मूड’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू पकड़ें टी. टी. गार्ड, उन्हें दिखलाते चक्कू ...
राशन की दुकान पर, देख भयंकर भीर ‘क्यू’ में धक्का मारकर, पहुँच गये बलवीर पहुँच गये बलवीर, ले लिया नंबर पहिला खड़े रह गये निर्बल, बूढ़े, बच्चे, महिला ...
नेता अखरोट से बोले किसमिस लाल हुज़ूर हल कीजिये मेरा एक सवाल मेरा एक सवाल, समझ में बात न भरती मुर्ग़ी अंडे के ऊपर क्यों बैठा करती...
भोलू तेली गाँव में, करै तेल की सेल गली-गली फेरी करै, 'तेल लेऊ जी तेल' 'तेल लेऊ जी तेल', कड़कड़ी ऐसी बोली बिजुरी तड़कै अथवा छूट रही हो गोली...
पड़ा - पड़ा क्या कर रहा , रे मूरख नादान दर्पण रख कर सामने , निज स्वरूप पहचान निज स्वरूप पह्चान , नुमाइश मेले वाले झुक - झुक करें सलाम , खोमचे - ठेले वाले...
भाँड़, भतीजा, भानजा, भौजाई, भूपाल पंचभूत की छूत से, बच व्यापार सम्हाल बच व्यापार सम्हाल, बड़े नाज़ुक ये नाते इनको दिया उधार, समझ ले बट्टे खाते...
कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी...
पिल्ला बैठा कार में, मानुष ढोवें बोझ भेद न इसका मिल सका, बहुत लगाई खोज बहुत लगाई खोज, रोज़ साबुन से न्हाता देवी जी के हाथ, दूध से रोटी खाता...
बड़ा भयंकर जीव है , इस जग में दामाद सास - ससुर को चूस कर, कर देता बरबाद कर देता बरबाद , आप कुछ पियो न खाओ मेहनत करो , कमाओ , इसको देते जाओ...
भारतीय इतिहास का, कीजे अनुसंधान देव-दनुज-किन्नर सभी, किया सोमरस पान किया सोमरस पान, पियें कवि, लेखक, शायर जो इससे बच जाये, उसे कहते हैं 'कायर'...
बटुकदत्त से कह रहे, लटुकदत्त आचार्य सुना? रूस में हो गई है हिंदी अनिवार्य है हिंदी अनिवार्य, राष्ट्रभाषा के चाचा- बनने वालों के मुँह पर क्या पड़ा तमाचा...
जा दिन एक बारात को मिल्यौ निमंत्रण-पत्र फूले-फूले हम फिरें, यत्र-तत्र-सर्वत्र यत्र-तत्र-सर्वत्र, फरकती बोटी-बोटी बा दिन अच्छी नाहिं लगी अपने घर रोटी...
सीधी नजर हुयी तो सीट पर बिठा गए। टेढी हुयी तो कान पकड कर उठा गये। सुन कर रिजल्ट गिर पडे दौरा पडा दिल का। डाक्टर इलेक्शन का रियेक्शन बता गये । ...
फादर ने बनवा दिये तीन कोट¸ छै पैंट¸ लल्लू मेरा बन गया कालिज स्टूडैंट। कालिज स्टूडैंट¸ हुए होस्टल में भरती¸ दिन भर बिस्कुट चरें¸ शाम को खायें इमरती।...