Avtar Singh Sandhu
Paash
( 1950 - 1988 )

Pash or Paash (Hindi: पाश) was the pen name of Avtar Singh Sandhu (Hindi: अवतार सिंह संधू), one of the major poets of the Naxalite movement in the Punjabi literature of the 1970s. He was killed by Khalistani extremists. His strongly left-wing views were reflected in his poetry. More

मैंने टिकिट खरीद कर तुम्हारे लोकतंत्र की नौटंकी देखी है अब तो मेरा रंगशाला में बैठ कर हाय हाय करने और चीखने का ...

हमें पैदा नहीं होना था हमें लड़ना नहीं था हमें तो हेमकुंठ पर बैठ कर भक्ति करनी थी...

मुझे चाहिए कुछ बोल जिनका एक गीत बन सके छीन लो मुझसे ये भीड़ की टें टें जला दो मुझे मेरी कविता की धूनी पर ...

मेरे गुरुदेव! उसी वक़्त यदि आप एक भील बच्चा समझ मेरा अंगूठा काट देते तो कहानी दूसरी थी...

भगत सिंह ने पहली बार पंजाब को जंगलीपन, पहलवानी व जहालत से बुद्धिवाद की ओर मोड़ा था जिस दिन फाँसी दी गई...

क्या-क्या नहीं है मेरे पास शाम की रिमझिम नूर में चमकती ज़िंदगी लेकिन मैं हूं...

मैं घास हूँ मैं आपके हर किए-धरे पर उग आऊँगा बम फेंक दो चाहे विश्‍वविद्यालय पर बना दो होस्‍टल को मलबे का ढेर...

तुम्हारे रुक-रुक कर जाते पाँवों की सौगन्ध बापू तुम्हें खाने को आते रातों के जाड़ों का हिसाब मैं लेकर दूँगा तुम मेरी फ़ीस की चिंता न करना...

क्या-क्या नहीं है मेरे पास शाम की रिमझिम नूर में चमकती ज़िन्दगी लेकिन मैं हूँ...

मैं पूछता हूँ आसमान में उड़ते हुए सूरज से क्या वक़्त इसी का नाम है कि घटनाएँ कुचलती हुई चली जाएँ मस्त हाथी की तरह...