मेरे गुरुदेव!
उसी वक़्त यदि आप एक भील बच्चा समझ
मेरा अंगूठा काट देते
तो कहानी दूसरी थी
लेकिन एन.सी.सी. में
बंदूक उठाने का नुक्ता तो आपने खुद बताया था
कि अपने देश पर
जब कोई मुसीबत आन पड़े
दुश्मन को बना कर
टार्गेट कैसे
घोड़ा दबा देना है
अब जब देश पर मुसीबत आ पड़ी
मेरे गुरुदेव!
खुद ही आप दुर्योधन के संग जा मिले हो
लेकिन अब आपका चक्रव्यूह
कहीं भी कारगर न होगा
और पहले वार में ही
हर घनचक्कर का
चौरासी का चक्कर कट जाएगा
हाँ, यदि छोटी उम्र में ही आप एक भील बच्चा समझ
मेरा अंगूठा काट देते
तो कहानी दूसरी थी