Muhammad Iqbal
Allama Iqbal
( 1877 - 1938 )

Sir Muhammad Iqbal, widely known as Allama Iqbal, was a poet, philosopher, and politician, as well as an academic, barrister and scholar in British India who is widely regarded as having inspired the Pakistan Movement. He is called the "Spiritual father of Pakistan". He is considered one of the most important figures in Urdu literature, with literary work in both the Urdu and Persian languages. More

रहा न हल्क़ा-ए-सूफ़ी में सोज़-ए-मुश्ताक़ी फ़साना-हा-ए-करामात रह गए बाक़ी ख़राब कोशक-ए-सुल्तान ओ ख़ानक़ाह-ए-फ़क़ीर फ़ुग़ाँ कि तख़्त ओ मुसल्ला कमाल-ए-रज़्ज़ाक़ी...

आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं महव-ए-हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी...

इश्क़ तिरी इंतिहा इश्क़ मिरी इंतिहा तू भी अभी ना-तमाम मैं भी अभी ना-तमाम...

हुआ न ज़ोर से उस के कोई गरेबाँ चाक अगरचे मग़रबियों का जुनूँ भी था चालाक मय-ए-यक़ीं से ज़मीर-ए-हयात है पुर-सोज़ नसीब-ए-मदरसा या रब ये आब-ए-आतिश-नाक...

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा ग़ुर्बत में हों अगर हम रहता है दिल वतन में समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा...

लबरेज़ है शराब-ए-हक़ीक़त से जाम-ए-हिंद सब फ़लसफ़ी हैं ख़ित्ता-ए-मग़रिब के राम-ए-हिंद ये हिन्दियों की फ़िक्र-ए-फ़लक-रस का है असर रिफ़अत में आसमाँ से भी ऊँचा है बाम-ए-हिंद...

परेशाँ हो के मेरी ख़ाक आख़िर दिल न बन जाए जो मुश्किल अब है या रब फिर वही मुश्किल न बन जाए न कर दें मुझ को मजबूर-ए-नवाँ फ़िरदौस में हूरें मिरा सोज़-ए-दरूँ फिर गर्मी-ए-महफ़िल न बन जाए...

ऐ ताइर-ए-लाहूती उस रिज़्क़ से मौत अच्छी जिस रिज़्क़ से आती हो परवाज़ में कोताही...

क़ौम ने पैग़ाम-ए-गौतम की ज़रा परवा न की क़द्र पहचानी न अपने गौहर-ए-यक-दाना की आह बद-क़िस्मत रहे आवाज़-ए-हक़ से बे-ख़बर ग़ाफ़िल अपने फल की शीरीनी से होता है शजर...

तू ने ये क्या ग़ज़ब किया मुझ को भी फ़ाश कर दिया मैं ही तो एक राज़ था सीना-ए-काएनात में...