तू ने ये क्या ग़ज़ब किया मुझ को भी फ़ाश कर दिया
तू ने ये क्या ग़ज़ब किया मुझ को भी फ़ाश कर दिया मैं ही तो एक राज़ था सीना-ए-काएनात में

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