Bulleh Shah
( 1680 - 1757 )

Bulleh Shah (Hindi: बुल्ले शाह), sometimes Bulla(h) Shah was a Punjabi Sufi poet, humanist and philosopher. His full name was Syed Abdullah Shah Qadri. His first spiritual teacher was Hazrat Shah Inayat Qadri, a sufi murshid of Lahore. Bulleh Shah gathered spiritual treasures under the guidance of his murshid and was known for the karamat (miraculous powers) he had. More

Parh parh ilm te faazil hoya Te kaday apnay aap nu parhya ee na Bhaj bhaj warna ay mandir maseeti Te kaday mann apnay wich warya ee na...

अब क्यों साजन चिर लायो रे ? ऐसी आई मन में काई, दुख सुख सभ वंजाययो रे, हार शिंगार को आग लगाउं,...

ऐसा जगिआ ज्ञान पलीता । ना हम हिन्दू ना तुर्क ज़रूरी, नाम इश्क दी है मनज़ूरी, आशक ने वर जीता, ऐसा जग्या ज्ञान पलीता । वेखो ठग्गां शोर मचाइआ, जंमना मरना चा बणाइआ ।...

अब हम गुंम हूए, प्रेम नगर के शहर । आपने आप नूं सोध रिहा हूं, ना सिर हाथ ना पैर । खुदी खोई अपना पद चीता, तब होई गल्ल ख़ैर । लत्थे पगड़े पहले घर थीं, कौन करे निरवैर ?...

आ सजन गल लग्ग असाडे, केहा झेड़ा लाययो ई ? सुत्त्यां बैठ्यां कुझ्झ ना डिट्ठा, जागदियां सहु पाययो ई । 'कुम-ब-इज़नी' शमस बोले, उलटा कर लटकाययो ई । इश्कन इश्कन जग्ग विच होईआं, दे दिलास बिठाययो ई ।...

आ मिल यार सार लै मेरी, मेरी जान दुक्खां ने घेरी। अन्दर ख़ाब विछोड़ा होया, ख़बर ना पैंदी तेरी। सुंञे बन विच लुट्टी साईआं, सूर पलंग ने घेरी। इह तां ठग्ग जगत दे, जेहा लावन जाल चफेरी।...

आयो फ़कीरो मेले चलिए, आरफ़ दा सुन वाजा रे । अनहद सबद सुनो बहु रंगी, तजीए भेख प्याजा रे । अनहद बाजा सरब मिलापी, निरवैरी सिरनाजा रे । मेले बाझों मेला औतर, रुढ़ ग्या मूल व्याजा रे ।...

आयो सईयो रल दियो नी वधाई । मैं वर पाइआ रांझा माही । अज्ज तां रोज़ मुबारक चढ़आ, रांझा साडे वेहड़े वड़्या, हत्थ खूंडी मोढे कम्बल धरिआ, चाकां वाली शकल बणाई,...

वाह वाह रमज़ सजन दी होर । आशक बिनां ना समझे कोर । कोठे ते चढ़ देवां होका, इश्क वेहाज्यु कोई ना लोका, इस दा मूल ना खाना धोखा, जंगल बसती मिले ना ठोर ।...

मेरा रांझा हुन कोई होर। तखत मुनव्वर बांगां मिलियां, तां सुणियां तखत लाहौर। इश्क मारे ऐवें फिरदे,...