अब क्यों साजन चिर लायो रे
अब क्यों साजन चिर लायो रे ? ऐसी आई मन में काई, दुख सुख सभ वंजाययो रे, हार शिंगार को आग लगाउं, घट उप्पर ढांड मचाययो रे; अब क्यों साजन चिर लाययो रे ? सुन के ज्ञान की ऐसी बातां, नाम निशान सभी अणघातां, कोइल वांगूं कूकां रातां, तैं अजे वी तरस ना आइयो रे; अब क्यों साजन चिर लाययो रे ? गल मिरगानी सीस खपरिया, भीख मंगन नूं रो रो फिरिआ, जोगन नाम भ्या लिट धरिआ, अंग बिभूत रमाययो रे; अब क्यों साजन चिर लाययो रे ? इश्क मुल्लां ने बांग दिवाई, उट्ठ बहुड़न गल्ल वाजब आई, कर कर सिजदे घर वल धाई, मत्थे महराब टिकाययो रे; अब क्यों साजन चिर लाययो रे ? प्रेम नगर दे उलटे चाले, ख़ूनी नैन होए खुशहाले, आपे आप फसे विच जाले, फस फस आप कुहाययो रे; अब क्यों साजन चिर लाययो रे ? दुक्ख बिरहों ना होन पुराणे, जिस तन पीड़ां सो तन जाणे, अन्दर झिड़कां बाहर ताअने, नेहुं लग्यां दुक्ख पाययो रे; अब क्यों साजन चिर लाययो रे ? मैना मालन रोंदी पकड़ी, बिरहों पकड़ी करके तकड़ी, इक मरना दूजी जग्ग दी फक्कड़ी, हुन कौन बन्ना बण आइयो रे; अब क्यों साजन चिर लाययो रे ? बुल्ल्हा शौह संग प्रीत लगाई, सोहनी बण तण सभ कोई आई, वेख के शाह इनायत साईं, जिय मेरा भर आइयो रे; अब क्यों साजन चिर लाययो रे ?

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