अब हम गुंम हूए, प्रेम नगर के शहर
अब हम गुंम हूए, प्रेम नगर के शहर । आपने आप नूं सोध रिहा हूं, ना सिर हाथ ना पैर । खुदी खोई अपना पद चीता, तब होई गल्ल ख़ैर । लत्थे पगड़े पहले घर थीं, कौन करे निरवैर ? बुल्ल्हा शहु है दोहीं जहानीं, कोई ना दिसदा ग़ैर ।

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