आओ फ़कीरो मेले चलिए
आयो फ़कीरो मेले चलिए, आरफ़ दा सुन वाजा रे । अनहद सबद सुनो बहु रंगी, तजीए भेख प्याजा रे । अनहद बाजा सरब मिलापी, निरवैरी सिरनाजा रे । मेले बाझों मेला औतर, रुढ़ ग्या मूल व्याजा रे । कठिन फ़कीरी रसता आशक, कायम करो मन बाजा रे । बन्दा रब्ब ब्रिहों इक मगर सुख, बुल्हा पड़ जहान बराजा रे ।

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