Ram Prasad Bismil
Bismil
( 1897 - 1927 )

Ram Prasad Bismil (Hindi: राम प्रसाद बिस्मिल) was an Indian revolutionary who participated in Mainpuri conspiracy of 1918, and the Kakori conspiracy of 1925, and struggled against British imperialism. As well as being a freedom fighter, he was a patriotic poet and wrote in Hindi and Urdu using the pen names Ram, Agyat and Bismil. But, he became popular with the last name "Bismil" only. He was associated with Arya Samaj where he got inspiration from Satyarth Prakash, a book written by Swami Dayanand Saraswati. He also had a confidential connection with Lala Har Dayal through his guru Swami Somdev, a preacher of Arya Samaj. More

इलाही ख़ैर! वो हरदम नई बेदाद करते हैं, हमें तोहमत लगाते हैं, जो हम फ़रियाद करते हैं। कभी आज़ाद करते हैं, कभी बेदाद करते हैं। मगर इस पर भी हम सौ जी से उनको याद करते हैं।...

हैफ़ जिस पे कि हम तैयार थे मर जाने को, यकायक हमसे छुड़ाया उसी काशाने को। आसमां क्या यहां बाक़ी था ग़ज़ब ढाने को? क्या कोई और बहाना न था तरसाने को?...

हे मातृभूमि ! तेरे चरणों में शिर नवाऊँ मैं भक्ति भेंट अपनी, तेरी शरण में लाऊँ माथे पे तू हो चन्दन, छाती पे तू हो माला जिह्वा पे गीत तू हो, तेरा ही नाम गाऊँ...

मिट गया जब मिटने वाला फिर सलाम आया तो क्या दिल की बर्वादी के बाद उनका पयाम आया तो क्या मिट गईं जब सब उम्मीदें मिट गए जब सब ख़याल उस घड़ी गर नामावर लेकर पयाम आया तो क्या...

बला से हमको लटकाए अगर सरकार फांसी से, लटकते आए अक्सर पैकरे-ईसार फांसी से। लबे-दम भी न खोली ज़ालिमों ने हथकड़ी मेरी, तमन्ना थी कि करता मैं लिपटकर प्यार फांसी से।...

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है...

देश की ख़ातिर मेरी दुनिया में यह ताबीर हो हाथ में हो हथकड़ी, पैरों पड़ी ज़ंजीर हो सर कटे, फाँसी मिले, या कोई भी तद्बीर हो पेट में ख़ंजर दुधारा या जिगर में तीर हो...

ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो। प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कान्तिमय हो॥ अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में, संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो।...

इलाही ख़ैर वो हरदम नई बेदाद करते हैँ हमेँ तोहमत लगाते हैँ जो हम फरियाद करते हैँ ये कह कहकर बसर की उम्र हमने क़ैदे उल्फत मेँ वो अब आज़ाद करते हैँ वो अब आज़ाद करते हैँ...

चर्चा अपने क़त्ल का अब दुश्मनों के दिल में है, देखना है ये तमाशा कौन सी मंजिल में है ? कौम पर कुर्बान होना सीख लो ऐ हिन्दियो ! ज़िन्दगी का राज़े-मुज्मिर खंजरे-क़ातिल में है !...