Syed Sibt-e-Asghar Naqvi
Jaun Elia
( 1931 - 2002 )

Syed Sibt-e-Asghar Naqvi, commonly known as Jaun Elia (Hindi: जॉन एलिया), was a Pakistani Urdu poet, philosopher, biographer, and scholar. He was the brother of Rais Amrohvi and Syed Muhammad Taqi, who were journalists and psychoanalysts. He was fluent in Urdu, Arabic, English, Persian, Sanskrit and Hebrew. More

कौन इस घर की देख-भाल करे रोज़ इक चीज़ टूट जाती है...

मिल रही हो बड़े तपाक के साथ मुझ को यकसर भुला चुकी हो क्या...

सब मेरे बग़ैर मुतमइन हैं मैं सब के बग़ैर जी रहा हूँ...

बहुत दिल को कुशादा कर लिया क्या ज़माने भर से वा'दा कर लिया क्या तो क्या सच-मुच जुदाई मुझ से कर ली तो ख़ुद अपने को आधा कर लिया क्या...

ज़ब्त कर के हँसी को भूल गया मैं तो उस ज़ख़्म ही को भूल गया ज़ात दर ज़ात हम-सफ़र रह कर अजनबी अजनबी को भूल गया...

ज़िंदगी क्या है इक कहानी है ये कहानी नहीं सुनानी है है ख़ुदा भी अजीब यानी जो न ज़मीनी न आसमानी है...

उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या मेरी हर बात बे-असर ही रही नक़्स है कुछ मिरे बयान में क्या...

अपने सब यार काम कर रहे हैं और हम हैं कि नाम कर रहे हैं तेग़-बाज़ी का शौक़ अपनी जगह आप तो क़त्ल-ए-आम कर रहे हैं...

ऐ सुब्ह मैं अब कहाँ रहा हूँ ख़्वाबों ही में सर्फ़ हो चुका हूँ सब मेरे बग़ैर मुतमइन हैं मैं सब के बग़ैर जी रहा हूँ...

ऐ वस्ल कुछ यहाँ न हुआ कुछ नहीं हुआ उस जिस्म की मैं जाँ न हुआ कुछ नहीं हुआ तू आज मेरे घर में जो मेहमाँ है ईद है तू घर का मेज़बाँ न हुआ कुछ नहीं हुआ...