अपने सब यार काम कर रहे हैं
अपने सब यार काम कर रहे हैं और हम हैं कि नाम कर रहे हैं तेग़-बाज़ी का शौक़ अपनी जगह आप तो क़त्ल-ए-आम कर रहे हैं दाद-ओ-तहसीन का ये शोर है क्यूँ हम तो ख़ुद से कलाम कर रहे हैं हम हैं मसरूफ़-ए-इंतिज़ाम मगर जाने क्या इंतिज़ाम कर रहे हैं है वो बेचारगी का हाल कि हम हर किसी को सलाम कर रहे हैं एक क़त्ताला चाहिए हम को हम ये एलान-ए-आम कर रहे हैं क्या भला साग़र-ए-सिफ़ाल कि हम नाफ़-प्याले को जाम कर रहे हैं हम तो आए थे अर्ज़-ए-मतलब को और वो एहतिराम कर रहे हैं न उठे आह का धुआँ भी कि वो कू-ए-दिल में ख़िराम कर रहे हैं उस के होंटों पे रख के होंट अपने बात ही हम तमाम कर रहे हैं हम अजब हैं कि उस के कूचे में बे-सबब धूम-धाम कर रहे हैं

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