Uday Pratap Singh
( 1932 )

Uday Pratap Singh (Hindi: उदय प्रताप सिंह) was a Rajya Sabha member representing Uttar Pradesh between 2002 and 2008. He is a renowned educationist. He has also been a member of Lok Sabha from 1994-2006. Besides being a veteran politician he is also famous for his works done in fields of poetry and responsible for the upliftment of Hindi and Urdu in Uttar pradesh and across the globe. More

कभी कभी सोचा करता हूँ, मैं ये मन ही मन में, क्यों फूलों की कमी हो गयी आखिर नंदन वन में? हरे भरे धन धान्य पूर्ण खेतों की ये धरती थी, सुंदरता में इन्द्रसभा इसका पानी भरती थी...

जब से सँभाला होश मेरी काव्य चेतना ने मेरी कल्पना में आती-जाती रही चाँदनी। आधी-आधी रात मेरी आँख से चुरा के नींद खेत खलिहान में बुलाती रही चाँदनी।...

ये प्रमाणों की सचाई है निरी शेखी नहीं है कि तुमने हिंद की नारी अभी देखी नहीं है चलो माना कि नारी फूल-सी सुकुमार होती है पयोधर है, सलिल है, अश्रु है, रसधार होती है ।...

अभी समय है सुधार कर लो ये आनाकानी नहीं चलेगी सही की नक़ली मुहर लगाकर ग़लत कहानी नहीं चलेगी घमण्डी वक़्तों के बादशाहों बदलते मौसम की नब्ज़ देखो महज़ तुम्हारे इशारों पे अब हवा सुहानी नहीं चलेगी...

चाहे जो हो धर्म तुम्हारा चाहे जो वादी हो । नहीं जी रहे अगर देश के लिए तो अपराधी हो ।‍‍‌ जिसके अन्न और पानी का इस काया पर ऋण है जिस समीर का अतिथि बना यह आवारा जीवन है...

नज़र जहाँ तक भी जा सकी है सिवा अँधेरे के कुछ नहीं है । तुम्हारी घड़ियाँ ग़लत हैं शायद, बजर सुबह का बजाने वालो ! मैं उस जगह की तलाश में हूँ जहाँ न पंडित ना मौलवी हों मुझे गरज क्या हो दैरो-ओ काबा या मयकदा पथ बताने वालो !...

ख़ुशबू नहीं प्यार की महकी जिनके सोच-विचारों में । नागफनी की चुभन मिली उनके दैनिक व्यवहारों में । तू पतझर के पीले पत्तों पर पग धरते डरता है लोग सफलता खोज चुके हैं लाशों के अंबारों में ।...

ना तीर न तलवार से मरती है सचाई जितना दबाओ उतना उभरती है सचाई ऊँची उड़ान भर भी ले कुछ देर को फ़रेब आख़िर में उसके पंख कतरती है सचाई ...

न मेरा है न तेरा है ये हिन्दुस्तान सबका है नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है हज़ारों रास्ते खोजे गए उस तक पहुँचने के मगर पहुँचे हुए ये कह गए भगवान सबका है...

हमारे घर की दीवारों में अनगिनत दरारें हैं सुनिश्चित है कहीं बुनियाद में ग़लती हुई होगी । क़ुराने पाक, गीता, ग्रन्थ साहिब शीश धुनते हैं हमारे भाव के अनुवाद में गलती हुई होगी ।...