Shivmangal Singh Suman
( 1915 - 2002 )

Shivmangal Singh 'Suman' (Hindi: शिवमंगल सिंह 'सुमन') was a noted Hindi poet and academician. More

माँ कब से खड़ी पुकार रही पुत्रो निज कर में शस्त्र गहो सेनापति की आवाज़ हुई तैयार रहो, तैयार रहो...

हाथ हैं दोनों सधे-से गीत प्राणों के रूँधे-से और उसकी मूठ में, विश्वास जीवन के बँधे-से...

यह हार एक विराम है जीवन महासंग्राम है तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं। वरदान माँगूँगा नहीं॥...

घर-आंगन में आग लग रही। सुलग रहे वन -उपवन, दर दीवारें चटख रही हैं जलते छप्पर- छाजन।...

जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला उस उस राही को धन्यवाद। जीवन अस्थिर अनजाने ही हो जाता पथ पर मेल कहीं...

कितनी बार तुम्हें देखा पर आँखें नहीं भरीं। सीमित उर में चिर-असीम सौंदर्य समा न सका ...

मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार पथ ही मुड़ गया था। गति मिली, मैं चल पड़ा, पथ पर कहीं रुकना मना था...

बहुत दिनों में आज मिली है साँझ अकेली, साथ नहीं हो तुम। पेड खडे फैलाए बाँहें लौट रहे घर को चरवाहे...

जीवन में कितना सूनापन पथ निर्जन है, एकाकी है, उर में मिटने का आयोजन सामने प्रलय की झाँकी है...

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार। आज सिन्धु ने विष उगला है लहरों का यौवन मचला है आज ह्रदय में और सिन्धु में...