Nazeer Akbarabadi
( 1740 - 1830 )

Nazeer Akbarabadi (Hindi: नज़ीर अकबराबादी), real name "Wali Muhammad" was an 18th-century Indian poet known as "Father of Nazm", who wrote Urdu ghazals and nazms under nom de plume "Nazeer", most remembered for his poems like Banjaranama, a satire. More

तिरे मरीज़ को ऐ जाँ शिफ़ा से क्या मतलब वो ख़ुश है दर्द में उस को दवा से क्या मतलब फ़क़त जो ज़ात के हैं दिल से चाहने वाले उन्हें करिश्मा-ओ-नाज़-ओ-अदा से क्या मतलब ...

कल बोसा-ए-पा हम ने लिया था सो न आया शायद कि वो बोसा ही हुआ आबला-ए-पा...

कहीं बैठने दे दिल अब मुझे जो हवास टुक मैं बजा करूँ नहीं ताब मुझ में कि जब तलक तू फिरे तो मैं भी फिरा करूँ...

जितने हैं कुश्तगान-ए-इश्क़ उन के अज़ल से हैं मिले अश्क से अश्क नम से नम ख़ून से ख़ून गिल से गिल...

जो ख़ुशामद करे ख़ल्क़ उस से सदा राज़ी है हक़ तो ये है कि ख़ुशामद से ख़ुदा राज़ी है...

जिसे मोल लेना हो ले ले ख़ुशी से मैं इस वक़्त दोनों जहाँ बेचता हूँ...

जिस्म क्या रूह की है जौलाँ-गाह रूह क्या इक सवार-ए-पा-ब-रकाब...

हर इक मकाँ में जला फिर दिया दिवाली का हर इक तरफ़ को उजाला हुआ दिवाली का सभी के दिल में समाँ भा गया दिवाली का किसी के दिल को मज़ा ख़ुश लगा दीवाली का...

कमाल-ए-इश्क़ भी ख़ाली नहीं तमन्ना से जो है इक आह तो उस को भी है असर की तलब...

कल 'नज़ीर' उस ने जो पूछा ब-ज़बान-ए-पंजाब नेह विच मेंडी ए की हाल-ए-तुसादा वे मियाँ...