Sarveshwar Dayal Saxena (Hindi: सर्वेश्वर दयाल सक्सेना) was a noted Hindi writer, poet, columnist and playwright. He was one of the seven poets who first published in one of the "Tar Saptaks", which ushered in the ‘Prayogvaad’ (Experimentalism) era, which in time evolved to become the "Nayi Kavita" (New Poetry) movement.More
अगर कहीं मैं घोड़ा होता, वह भी लंबा-चौड़ा होता।
तुम्हें पीठ पर बैठा करके, बहुत तेज मैं दोड़ा होता॥
पलक झपकते ही ले जाता, दूर पहाड़ों की वादी में।
बातें करता हुआ हवा से, बियाबान में, आबादी में॥...