Raghupati Sahay
Firaq Gorakhpuri
( 1896 - 1982 )

Raghupati Sahay (Hindi: रघुपति सहाय), better known under his pen name Firaq Gorakhpuri (Hindi: फ़िराक़ गोरखपुरी), was a writer, critic, and, according to one commentator, one of the most noted contemporary Urdu poets from India. More

सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं लेकिन इस तर्क-ए-मोहब्बत का भरोसा भी नहीं...

ये शाम इक आईना-ए-नील-गूँ ये नम ये महक ये मंज़रों की झलक खेत बाग़ दरिया गाँव वो कुछ सुलगते हुए कुछ सुलगने वाले अलाव सियाहियों का दबे-पाँव आसमाँ से नुज़ूल...

सियाह पेड़ हैं अब आप अपनी परछाईं ज़मीं से ता-मह-ओ-अंजुम सुकूत के मीनार जिधर निगाह करें इक अथाह गुम-शुदगी इक एक कर के फ़सुर्दा चराग़ों की पलकें...

तिरी निगाह सहारा न दे तो बात है और कि गिरते गिरते भी दुनिया सँभल तो सकती है...

तेरे आने की क्या उमीद मगर कैसे कह दूँ कि इंतिज़ार नहीं...

तबीअत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में हम ऐसे में तिरी यादों की चादर तान लेते हैं...

तू याद आया तिरे जौर-ओ-सितम लेकिन न याद आए मोहब्बत में ये मासूमी बड़ी मुश्किल से आती है...

शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास दिल को कई कहानियाँ याद सी आ के रह गईं...

तुझ को पा कर भी न कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल इतना आसान तिरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं...

तिरी निगाह से बचने में उम्र गुज़री है उतर गया रग-ए-जाँ में ये नेश्तर फिर भी...