Mahadevi Varma
( 1907 - 1987 )

Mahadevi Varma (Hindi: महादेवी वर्मा) was best known as an outstanding Hindi poet, and was a freedom fighter, woman's activist and educationist from India. She is widely regarded as the "modern Meera". She was a major poet of the Chhayavaad generation, a period of romanticism in Modern Hindi poetry. More

विरह का जलजात जीवन, विरह का जलजात! वेदना में जन्म करुणा में मिला आवास अश्रु चुनता दिवस इसका; अश्रु गिनती रात; जीवन विरह का जलजात!...

बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ! नींद थी मेरी अचल निस्पन्द कण कण में, प्रथम जागृति थी जगत के प्रथम स्पन्दन में, प्रलय में मेरा पता पदचिन्‍ह जीवन में,...

बाँच ली मैंने व्यथा की बिन लिखी पाती नयन में ! मिट गए पदचिह्न जिन पर हार छालों ने लिखी थी, खो गए संकल्प जिन पर राख सपनों की बिछी थी, आज जिस आलोक ने सबको मुखर चित्रित किया है,...

शून्यता में निद्रा की बन, उमड़ आते ज्यों स्वप्निल घन; पूर्णता कलिका की सुकुमार, छलक मधु में होती साकार;...

प्रिय इन नयनों का अश्रु-नीर ! दुख से आविल सुख से पंकिल बुद्बुद से स्वप्नों से फेनिल, बहता है युग युग से अधीर ...

रश्मि चुभते ही तेरा अरुण बान ! बहते कन-कन से फूट-फूट, मधु के निर्झर से सजग गान!...

कम्पित कम्पित, पुलकित पुलकित, परछा‌ईं मेरी से चित्रित, रहने दो रज का मंजु मुकुर,...

यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो रजत शंख घड़ियाल स्वर्ण वंशी-वीणा-स्वर, गये आरती वेला को शत-शत लय से भर, जब था कल कंठो का मेला,...

यह संध्या फूली सजीली! आज बुलाती हैं विहगों को नीड़ें बिन बोले; रजनी ने नीलम-मन्दिर के वातायन खोले; एक सुनहली उर्म्मि क्षितिज से टकराई बिखरी,...

बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ! नींद थी मेरी अचल निस्पन्द कण कण में, प्रथम जागृति थी जगत के प्रथम स्पन्दन में, प्रलय में मेरा पता पदचिन्ह जीवन में,...