मित्रता और पवित्रता
आडम्बर में समाप्त न होने पाए पवित्रता और समाप्त न होने पाए मित्रता शिष्टाचार में सम्भावना है इतना-भर अवधान-पूर्वक प्राण-पूर्वक सहेजना है मित्रता और पवित्रता को!

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