Rahat Indori (Hindi: डॉ. राहत इन्दौरी ) is an eminent Urdu language poet and a bollywood lyricist. Prior to this he was a pedagogist of Urdu literature at Indore University.More
मेरे कारोबार में सब ने बड़ी इमदाद की
दाद लोगों की गला अपना ग़ज़ल उस्ताद की
अपनी साँसें बेच कर मैं ने जिसे आबाद की
वो गली जन्नत तो अब भी है मगर शद्दाद की...
ये ख़ाक-ज़ादे जो रहते हैं बे-ज़बान पड़े
इशारा कर दें तो सूरज ज़मीं पे आन पड़े
सुकूत-ए-ज़ीस्त को आमादा-ए-बग़ावत कर
लहू उछाल कि कुछ ज़िंदगी में जान पड़े...