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गोरी-गोरी सौंधी धरती-कारे-कारे बीज बदरा पानी दे! क्यारी-क्यारी गूंज उठा संगीत बोने वालो! नई फसल में बोओगे क्या चीज ?...

आँजुरी भर धूप-सा मुझे पी लो! कण-कण मुझे जी लो!...

उत्तर नहीं हूँ मैं प्रश्न हूँ तुम्हारा ही! नये-नये शब्दों में तुमने जो पूछा है बार-बार ...

घाट के रस्ते उस बँसवट से इक पीली-सी चिड़िया उसका कुछ अच्छा-सा नाम है!...

प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी बाँध देती है, तुम्हारा मन, हमारा मन, फिर किसी अनजान आशीर्वाद में-डूबन मिलती मुझे राहत बड़ी!...

झुरमुट में दुपहरिया कुम्हलाई खोतों पर अँधियारी छाई पश्चिम की सुनहरी धुंधराई टीलों पर, तालों पर...