Subhadra Kumari Chauhan (Hindi: सुभद्रा कुमारी चौहान) was an Indian poet famous for Hindi poems composed primarily in Veer Ras, one of the nine Ras.More
सब दुखहरन सुखकर परम हे नीम! जब देखूँ तुझे।
तुहि जानकर अति लाभकारी हर्ष होता है मुझे॥
ये लहलही पत्तियाँ हरी, शीतल पवन बरसा रहीं।
निज मंद मीठी वायु से सब जीव को हरषा रहीं॥...
इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी।
जल कर जिसने स्वतंत्रता की, दिव्य आरती फेरी॥
यह समाधि यह लघु समाधि है, झाँसी की रानी की।
अंतिम लीलास्थली यही है, लक्ष्मी मरदानी की॥...
मृदुल कल्पना के चल पँखों पर हम तुम दोनों आसीन।
भूल जगत के कोलाहल को रच लें अपनी सृष्टि नवीन॥
वितत विजन के शांत प्रांत में कल्लोलिनी नदी के तीर।
बनी हुई हो वहीं कहीं पर हम दोनों की पर्ण-कुटीर॥ ...
यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सोहाग की है लाली।
शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली।
दीप-शिखा है अँधेरे की, घनी घटा की उजियाली।
उषा है यह काल-भृंग की, है पतझर की हरियाली।...
मैं अछूत हूँ, मंदिर में आने का मुझको अधिकार नहीं है।
किंतु देवता यह न समझना, तुम पर मेरा प्यार नहीं है॥
प्यार असीम, अमिट है, फिर भी पास तुम्हारे आ न सकूँगी।
यह अपनी छोटी सी पूजा, चरणों तक पहुँचा न सकूँगी॥...
तुम कहते हो - मुझको इसका रोना नहीं सुहाता है।
मैं कहती हूँ - इस रोने से अनुपम सुख छा जाता है॥
सच कहती हूँ, इस रोने की छवि को जरा निहारोगे।
बड़ी-बड़ी आँसू की बूँदों पर मुक्तावली वारोगे॥...