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संसारी से प्रीतड़ी, सरै न एको काम। दुविधा में दोनों गये, माया मिली न राम॥ स्वारथ का सब कोई सगा, सारा ही जग जान। बिन स्वारथ आदर करे, सो नर चतुर सुजान॥
Kabir
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