नई पढ़ी का गीत
जो मरुस्थल आज अश्रु भिगो रहे हैं, भावना के बीज जिस पर बो रहे हैं, सिर्फ़ मृग-छलना नहीं वह चमचमाती रेत! क्या हुआ जो युग हमारे आगमन पर मौन? सूर्य की पहली किरन पहचानता है कौन? अर्थ कल लेंगे हमारे आज के संकेत। तुम न मानो शब्द कोई है न नामुमकिन कल उगेंगे चाँद-तारे, कल उगेगा दिन, कल फ़सल देंगे समय को, यही ‘बंजर खेत’।

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