सत्य
दूर तक फैली हुई है जिंदगी की राह ये नहीं तो और कोई वृक्ष देगा छाँह गुलमुहर, इस साल खिल पाए नहीं तो क्या! सत्य, यदि तुम मुझे मिल पाए नहीं तो क्या!

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