स्वप्न और परिस्थितियाँ
सिगरेट के बादलों का घेरा बीच में जिसके वह स्वप्न चित्र मेरा— जिसमें उग रहा सवेरा साँस लेता है, छिन्न कर जाते हैं निर्मम हवाओं के झोंके; आह! है कोई माई का लाल? जो इन्हें रोके, सामने आकर सीना ठोंके।

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