एक स्थिति
हर घर में कानाफूसी औ’ षडयंत्र, हर महफ़िल के स्वर में विद्रोही मंत्र, क्या नारी क्या नर क्या भू क्या अंबर माँग रहे हैं जीने का वरदान, सब बच्चे, सब निर्बल, सब बलवान, सब जीवन सब प्राण, सुबह दोपहर शाम। ‘अब क्या होगा राम?’ कुछ नहीं समझ में आते ऐसे राज़, जिसके देखो अनजाने हैं अंदाज़, दहक रहे हैं छंद, बारूदों की गंध अँगड़ाती सी उठती है हर द्वार, टूट रही है हथकड़ियों की झंकार आती बारंबार, जैसे सारे कारागारों का कर काम तमाम। ‘अब क्या होगा राम?’

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