पुराने पड़ गये डर, फेंक दो तुम भी
पुराने पड़ गये डर, फेंक दो तुम भी ये कचरा आज बाहर फेंक दो तुम भी लपट आने लगी है अब हवाओं में ओसारे और छप्पर फेंक दो तुम भी यहाँ मासूम सपने जी नहीं पाते इन्हें कुंकुम लगा कर फेंक दो तुम भी तुम्हें भी इस बहाने याद कर लेंगे इधर दो—चार पत्थर फेंक दो तुम भी ये मूरत बोल सकती है अगर चाहो अगर कुछ बोल कुछ स्वर फेंक दो तुम भी किसी संवेदना के काम आएँगे यहाँ टूटे हुए पर फेंक दो तुम भी

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