यह संसार सभी बदला है
ऊँट-बैल का साथ हुआ है; कुत्ता पकड़े हुए जुआ है। यह संसार सभी बदला है; फिर भी नीर वही गदला है, जिससे सिंचकर ठण्डा हो तन, उस चित-जल का नहीं सुआ है। रूखा होकर ठिठुर गया है; जीवन लकड़ी का लड़का है, खोले कोंपल, फले फूलकर तरु-तल वैसा नहीं कुआँ है।

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