ऊर्ध्व चन्द्र, अधर चन्द्र
ऊर्ध्व चन्द्र, अधर चन्द्र, माझ मान मेघ मन्द्र। क्षण-क्षण विद्युत प्रकाश, गुरु गर्जन मधुर भास, कुज्झटिका अट्टहास, अन्तर्दृग विनिस्तन्द्र। विश्व अखिल मुकुल-बन्ध जैसे यतिहीन छन्द, सुख की गति और मन्द, भरे एक-एक रन्ध्र।

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